प्रोफ़ेसर रिज़वान अली को लगता है कि मुसलमानों ने अपना नुक़सान धर्म को ज़्यादा प्रमुखता देकर भी किया है. वो कहते हैं, "मुसलमान केंद्र में धर्म को रखते हैं. जब तक ये धर्म से अलग कर राजनीति नहीं करेंगे तब तक अधिकार नहीं मिलेगा. इन्हें ख़ुद को धर्म से डिस्लोकेट करना होगा. यहाँ आदिवासी भी मुसलमान बने हैं लेकिन मुसलमान बनकर ये आदिवासी नहीं रहते." "मस्जिद में जाकर बाक़ी के मुसलमानों की तरह हो जाते हैं. जो आदिवासी ईसाई बनते हैं वो अपनी जड़ो से उस तरह से नहीं कटते जैसे ये मुसलमान बनने के बाद कटते हैं. ईसाई आदिवासी अपना टाइटल तिर्की, मुंडा और मरांडी नहीं छोड़ते हैं जबकि मुसलमान बनने के बाद ये छोड़ देते हैं और इसका नुक़सान उन्हें उठाना पड़ता है. यह मुस्लिम समाज की एक विडंबना भी है. मुसलमान बनने के बाद इनका संस्कृतीकरण होता है." इस बार झारखंड में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी 14 सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारे हैं. ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का निशाना यहाँ की मुस्लिम आबादी है. प्रोफ़ेसर रिज़वान को लगता है कि ओवैसी के कारण झारखंड के मुसलमानों में उग्